Monday, 10 October 2022

पॉल सेज़ेन: पूर्ण ठोस उपस्थिति का एक नैतिक आग्रह

 

एक सेज़ेन (Cezanne) कैनवास के सामने खड़े होना वास्तविकता के स्पष्टतम रूप का का सामना करना है। एक सेज़ेन पेंटिंग मौजूद, ठोस और अधिकतम संभव सीमा तक पूरी तरह से  परिभाषित होती है। एक ऐसी दुनिया में जहां एक साधारण  गोले में कलात्मक इरादे को संप्रेषित करना चतुर माना जाता है और अमूर्तता के नाम पर औसत दर्जे के प्रयासों को कला का नाम दे दिया जाता है, सेज़ेन ने ठोस उपस्थिति का रास्ता चुना।  वो अपनी संवेदनाओं को पूर्ण रूप से मूर्त करने के लिए लालायित रहते हैं। उनकी संवेदना एक क्षणभंगुर उत्तेजना नहीं है, बल्कि एक ठोस ऑप्टिकल संपूर्ण है जिसमें मूर्त गुणों  की एक ठोस समृद्धि है जो कलाकार को कैनवास पर उन्हें उतारने  की  चुनौती देती है। सेज़ेन उस ठोस उपस्थिति को ईमानदारी से महसूस करना लगभग एक नैतिक अनिवार्यता मानते हैं।

अपनी कला की तरह सेज़ेन एक सांस्कृतिक प्रभाव की दृष्टि से भी एक ठोस मुक़ाम हैं। उनके बाद मॉडर्न आर्ट में  बहुत ज़्यादा कुछ ऐसा नहीं है जो उनकी दहलीज़ पर आ कर उनको सलाम कर के न गया हो। क्यूबिज़म शायद सबसे खुले तौर पर उनका क़र्ज़ा स्वीकार करता हो पर सेजेन, जैसा Matisse कहते हैं ‘सब कुछ के पिता थे’ ।जब Lucien Freud रंग के पहाड़ से वसा भरी मानव शरीर की नग्नता उभारने के लिए यथार्थ की अंतिम परत पर जुटे थे तो वो भी सेज़ेन के उसी  moral imperative of solidity का ही मान रख रहे थे। यहाँ तक कि Andy Warhol की कला में उपस्थित आम वस्तुओं पर फ़्रेम लगा कर और presentation over representation की महारत में भी सेज़ेन की गूँज साफ़ सुनाई पड़ती है।  सभी को पता है सेज़ेन के तथाकथित ज्यामीतीय कृतियों ने  क्यूबिज़म को सीधे प्रभावित किया था। उनका ठोस मौजूदगी का आग्रह क्यूबिज़म के कर्णधारों को बेहद पसंद आया था क्योंकि क्यूबिज़म भी वास्तविकता के सभी आयामों को कैन्वस पर उतारने का ही आंदोलन था। सर्वविदित है कि पिकासो जब ‘Les Demoiselles d’ Avignon.’ पेंट कर रहे थे और एक नए आंदोलन को उकेर रहे थे तब उन्होंने ‘Large Bather’ का एक लीथोग्राफ ख़रीदा था। वो कहते थे कि सेज़ेन  की चिंताओं (anxiety) में अलग ही असर है। 

 

क्यूबिज़म के दूसरे पुरोधा ब्राक ने और विस्तार से सेजेन के प्रभाव को स्वीकारा है। वो कहते हैं “सेज़ेन के बाद सब पलट गया था….सब कुछ नए सिरे से सोचना पड़ा, सब कुछ जिसको हम जानते थे और जिसकी हम इज़्ज़त करते थे और प्यार करते थे। सेज़ेन के काम में हमें न सिर्फ़ नया चित्रात्मक निर्माण मिला बल्कि अक्सर भुलाया हुआ स्थान की, स्पेस की एक नैतिक समझ भी” ब्राक का ये कथन सेज़ेन के कला की ठोस सच्चाई को पकड़ने के ज़ुनून की जड़ में जाता है । 


  

 

पिकासो ने सज़ेन की चिन्ता के बारे में बोला था। ये चिन्ता उनके जुनून के नैतिक आयाम का बड़ा हिस्सा है। अपनी मृत्यु के महज़ छः हफ़्ते पूर्व सेज़ेन उन्होंने अपने पुत्र को कहा था कि “एक पेंटर के तौर पर अब में प्रकृति के सान्निध्य में ज़्यादा निखरा हुआ महसूस करता हूँ पर मेरे लिए उन  संवेदनों को मूर्त करना पीड़ाप्रद होता जा रहा है।मैं वो तीक्ष्णता नहीं प्राप्त कर पा रहा हूँ  जो मेरी इंद्रियाँ महसूस कर रही हैं। मैं प्रकृति में बिखरे रंगों की अभिनव आभा नहीं पैदा कर पा रहा हूँ”। सेज़ेन की चिंता उनकी अभिव्यक्ति की छटपटाहट - जितना मैं तुम्हें महसूस करूँ उतना तुम्हें पा भी लूँ- को मे उन्होंने आधुनिक चेतना की कसौटी के स्तर तक ऊंचा उठाया। ह्यूज़ भी सेज़ेन  के संघर्ष में नैतिक आयाम को बखूबी निकालते हैं। “उनकी पेंटिंग अस्मिता की खोज का एक निरंतर नैतिक संघर्ष थी, एक खोज इस दूसरे - प्रकृति की अंतरतम चित्र उतारने की, वो भी एक कला परंपरा की निरंतर प्रेरणा और जाँच के तहत, जिसका वह सम्मान करते थे।” 


 

  

सेजेन की कला का विकास काफ़ी रोचक रहा है। प्रारंभ कला से काफ़ी दूर था Aix-en-Provence जहां वो 1839 में जन्मे थे में उस समय के फ़्रान्स के हिसाब से कला का ज़्यादा चलन नहीं था। इनके पिता श्रमिक से हैट निर्माता से बैंकर बने थे।  सौभाग्यवश पिता अपने पुत्र की कला आकांक्षाओं के को लेकर काफ़ी सहयोग करते थे और उनकी प्रतिभा को लेकर काफ़ी आशावान थे। 1852-1858 तक सेजेन ने बर्बन कॉलेज में पढ़ाई की जहां वो लेखक ज़ोला से मिले और जीवन पर्यंत मित्र रहे। हालाँकि कॉलेज में सेजेन सारे साहित्यिक और ज़ोला सारे कला के पुरस्कार जीता करते थे। उसके बाद उन्होंने कुछ दिन क़ानून की पढ़ाई की पर ज़ोला के निरंतर प्रोत्साहन से पेंटिंग की राह पकड़ी और 1861 में दोनों मित्र पेरिस आ गए ।

 

पोर्ट्रेट बनाने की विधा में  सेज़ेन का  ‘उपस्थिति, ठोस घनत्व ‘ का दर्शन पूरी परपक्वता से निखरा है।  1869-70 के उनके चित्रकार मित्र Achille Emperaire की पोर्ट्रेट से शुरू कर वो विश्व के सर्वकालिक श्रेष्ठ पोर्टेट कलाकारों की श्रेणी में आते गए।  उनकी सेल्फ पोर्ट्रेट्स की तुलना रेम्ब्रां से की गयी है। उनके द्वारा बनायीं गयी पोर्ट्रेट्स अपनी चित्रगत विशिष्टता को पूरी मजबूती से व्यक्त करती हैं और उनके विषय अपनी पूर्णता में कैनवस पर उतरते हैं और अपना स्थान एक दृढ़ता के और बेहिचक स्वामित्व भाव से लेते हैं और आकार, प्रकार और भावना के तनिक भी विलयन मंदन का कोई भी अवसर नहीं पैदा होने देते हैं।  संवेदन की कैनवस पर पूर्णता, उपस्थिति के व्याकरण को केंद्रीय अग्र भूमिका देने से आती है।  ह्यूज़ ने सेज़ेन की स्थानीय  mountain- Mont Ste- Victoire के यथार्थ और उपस्थिति को गढ़ने की तलाश को बहुत अच्छे से बताया है। मूल अंग्रेज़ी में पढ़ना शायद ज़्यादा श्रेयस्कर होगा “Each painting attacks the mountain and its distance as a fresh problem. The bulk runs from a mere vibration of watercolor on the horizon, its translucent, wriggling profile echoing the pale green and lavender gestures of the foreground trees, to the vast solidarity of the Philadelphia version of Mont Ste.-Victoire, 1902-06. There, all is displacement. Instead of an object in an imaginary box, surrounded by transparency, every part of the surface is a continuum, a field of resistant form. Patches of gray, blue and lavender that jostle in the sky are as thoroughly articulated as those that constitute the flank of the mountain. Nothing is empty in late Cézanne — not even the bits of untouched canvas. …. His goal was presence, not illusion, and he pursued it with an unremitting gravity. The fruit in the great still lifes of the period, like Apples and Oranges, 1895-1900, are so weighted with pictorial decision — their rosy surfaces filled, as it were, with thought — that they seem about twice as solid as real fruit could be. … The light in his watercolors (perhaps the most radiant exercises in that medium since Turner) is not just the transcendent energy, the "supernatural beauty" of abstraction; it is also the harsh, verifiable flicker of sun on Provençal hillsides. To his anguish and fulfillment, Cézanne was embedded in the real world, and he returns us to it, whenever his pictures are seen.”  ये संवेदन के पूर्ण दोहन का संघर्ष ही सेज़ेन को इतना स्थायी रूप से ज़रूरी बनाता है।.



सेज़ेन की अपील का स्थायित्व उनकी सफलता की व्यापकता की वजह से भी है। कला के कई आयामों में वो शीर्ष पर है। सफलता की ये व्यापकता और विशालता दुर्लभ होती है। उनके प्रभाव की जब भी बात होती है तो उनकी कला के किसी एक आयाम  से प्रभावित हो कोई प्रतिभा उसे नयी ऊँचाइयों पर ले जाती है तो कोई दूसरा आयाम किसी और चित्रकार  को प्रभावित कर रहा होता है । क्यूबिज़म पर उनका प्रभाव तो हम देख ही चुके हैं । सेज़ेन में हम रंग, रूप, ड्राइंग, बनावट, मॉडलिंग और अभिव्यक्ति के अनेक आयाम देखते हैं । उनके समय का पेरिस और कला की दुनिया काफ़ी आत्मघाती प्रवृत्तियों से भरी और व्यवधान पूर्ण थी । ऐसे में उनके लम्बे निरंतर ऋषि तुल्य  समर्पण की वजह से हम उनके आउट्पुट में एक भारीपन और परिपक्वता देखते हैं । इस परिपक्वता और लम्बे मंथन ने उनके काम को एक जटिलता और समृद्धि प्रदान की है जिसके चलते बाद के चित्रकारों को पूर्णत: विकसित उत्कृष्ट आयामों से अपने लिए पूरी एक विधा चुन ने का अवसर मिल जाता है। उनके वॉटर कलर्ज़ की मृदुल आभा, धीर गम्भीर स्टिल लाइफ़, और पोर्ट्रैट्स की भव्य उपस्थिति किसी भी नए स्कूल की नींव बन ने के लिए पर्याप्त है। यहाँ भी उनकी उपलब्धि का नैतिक आयाम स्पष्ट है।  Meyer Schapiro कहते है “उनकी विविधता चौंकाने वाली थी। यह विविधता  उनकी संवेदनशील भावना के खुलेपन पर टिकी है। उनकी कला में कैनवस मूड और अनुभूति का इम्प्रेशनिस्ट कलाकारों से ज़्यादा व्यापक विस्तार उतरता था। थीम्स की विविधता तो है पर पेंटिंग की भी विशेषताओं में भी ये विस्तार झलकता है। चाहे वो रेखांकन कर रहे हों या रंग का प्रयोग कर रहे हों; या प्रकृति के स्पंदन को कैद कर रहे हों, चाहे वो तगड़े ब्रश के साथ  या वाटरकलर के हलके हाथ के साथ; वो दोनों में ही स्थिर और आश्वस्त हैं। उनका अपने त्वरित संवेदनों और अपने व्यक्तित्व की संचित खूबियों में एक गहरा विश्वास था। वो  भावुक और शांत, गंभीर और हलके हो सकतें हैं पर वह हमेशा ईमानदार होते है।” सेज़ेन का खुलापन एक प्रत्यक्ष अनौपचारिकता उनके Frankness of means’  से मिल कर उनको युग निर्माताओं की श्रेणी में ले जाती है।  . 

अपनी कला में जो अभिव्यक्ति वो खोज  रहे थे वो उनके समय, या, आज भी, नहीं अस्तित्व में नहीं है।  उनका संवेदनशील व्यक्तित्व और अभिव्यक्ति की छटपटाहट नयी सेंसिबिलिटी की तलाश में थी. हालाँकि उनके आउटपुट की परिपक्वता के बावजूद भी उनकी तलाश अधूरी रही। कई मायनों में उनका ये अधूरापन ही उन्हें  ‘Patriarch of Modernism’ बनाता  है। ये महसूस करने और पाने के बीच का फासला और उसकी पीड़ा को उन्होंने ऊर्जादायनी शक्ति के तौर पर उपयोग किया। कई  कलाकारों (शायद जैसे वॉन  गॉग ) में ये पीड़ा आत्मघाती बन कर निकली थी।  इस ऊर्जा का उपयोग सेज़ेन ने मॉडर्न आर्ट के नए दरवाजे खोलने में किया  सच ही है की  आधुनिकतावाद कला के इतिहास में एक तलाश है कोई स्थिर बिंदु नहीं। यह तथ्य कि सेज़ेन की यात्रा  अधूरी रह गयी थी  उनकी  मानवता और महानता का प्रमाण है।

 

 


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