Monday, 26 September 2022

मार्टिन स्कॉरसीसी - एक दिग्गज किस्सागो का सम्मोहक फिल्म संसार

 





यदि मार्टिन स्कॉरसीसी की फ़िल्में इतने ज़बरदस्त रूप से प्रभावी नहीं होतीं, तो वो दिखावे की श्रेणी में आ जाती । स्कौरसीसी शैली और स्टाइल के बहुत बेबाक़ जादूगर हैं। अच्छी बात यह है कि उनकी शो मैनशिप, सिनेमा की भाषा पर उनकी उत्कृष्ट पकड़ और वास्तव में एक महान फ़िल्मकार की अपनी विधा पर व्यापक महारत से आती है। उनकी शो मैन शिप कभी भी उनकी दृष्टि और कहानी के संदेश पर हावी नहीं होती वरन उनको निखारने के एक प्रभावी टूल के रूप में काम करती है। उनमें हम को एक बेमिसाल किस्सागो और मंजे हुए विज़ूअल स्टाइलिस्ट का सुखद संगम मिलता है। शैली और सार दोनों में अपने इस असाधारण कौशल को उन्होंने शहरी परिदृश्य के ज़मीनी यथार्थवादी चित्रण के लिए बड़ी मज़बूती से इस्तेमाल किया है। उनकी फ़िल्म यात्रा पिछले लगभग पाँच दशकों के सेल्युलाइड पर तैरते रूपकों से भरी पूरी है। उनकी दो प्रमुख संवेदनाएँ जो शायद उनको परिभाषित करतीं हैं क्योंकि वो उनके जिए हुए अनुभव से निकलीं हैं – पहली  कैथोलिक धार्मिक थीम्स (उन्होंने पादरी बनने की शिक्षा ली थी) और गैंगस्टर जीवन के प्रति एक सहज आकर्षण (वह न्यूयॉर्क के लिटिल इटली क्षेत्र में पले-बढ़े थे ), इन दोनों संवेदनाओं को उन्होंने अमेरिकी जीवन, या यूँ कहें कि जीवन की ही वास्तविकताओं  के धाराप्रवाह चित्रण की बारीकियों को जीवंत करने बड़ी सफलता से प्रयोग किया। स्कॉरसीसी के विषय और कथानक उनके शैलीगत कौशल से निखार पा कर अपनी जटिलताओं को बड़ी सहजता से दर्शक के ज़हन तक पहुँचा देते हैं। उनकी थीम्ज़ जैसे टेक्नॉलजी से लगाव या जिज्ञासा जनित आश्चर्य  (ह्यूगो) पावर और लालच में लिप्त विश्वासघात (उनकी सभी गैंगस्टर फिल्में),  प्रतिभा और संगीत का आनंद (रॉलिंग स्टोन्स और बॉब डायलन पर उनकी डॉक्युमेंटरीज़), कैथोलिक सिन (मीन स्ट्रीट) और अकेलापन (टैक्सी ड्राइवर) उनके जानदार कैमरा मूव्मेंट, बढ़िया अभिनय और सशक्त एडिटिंग जो कहानी की भावना को पकड़ती हैं से परदे पर अपनी पूरी गहराई से उतर आती हैं। । वह अपने कैमरे को कलम की तरह इस्तेमाल करते है और दर्शकों को अपने दृश्यों को 'पढ़ने'  न की महज़ ‘देखने’ के लिए प्रेरित करते है। वह पीओवी शॉट का उपयोग किए बिना पॉइंट ऑफ व्यू शॉट बनाने में सक्षम है। उनमे हम शिल्प और भावनाओं के एक आदर्श संगम से रूबरू होते हैं।

                       


यह विज़ूअल कैलिस्थेनिक्स खटकती नहीं है क्योंकि यह उनकी कहानियों के अंतर्निहित व्याकरण की आँच को ही इस्तेमाल करती है। स्क्रीन पर जो भी दिखता है, उस पर स्कॉरसीसी का अचूक नियंत्रण बना रहता है। ये नियंत्रण और अपने क्रीएटिव दायरे पर उनकी एक सम्पूर्ण महारथ उनका एक सहज गुण है। उन्होंने अपने तकनीकी गुणवत्ता  को अद्भुत तरीक़े से परिष्कृत कर रखा है, हालाँकि, यह परिष्कार हमेशा उनकी सबसे बड़ी खूबी – क़िस्सागोई - के पूरी तरह से आधीन रहा है । उनके पास कहानी की आत्मा को समझने और और कहानी के प्रवाह पर एक गीतात्मक नियंत्रण बनाए हुए उसे पर्दे पर उतारने का एक मँजा हुआ हुनर है। एक और चीज जो एक स्कॉरसीसी फिल्म को इतना लुभावना बनाती है, वह है अपने विषय के प्रति उनका उत्साह। जैसा कि रोजर एबर्ट ने 'गुडफेलास' के अपने रिव्यू में कहा था,  “फिल्म में एक अच्छे कहानीकार का सहज प्रवाह जो ये जानता की उसके पास बांधने वाली कहानी है” - ‘the film has the headlong momentum of a storyteller who knows he has a good one to share.” स्कौरसीसी दर्शकों तक उस उत्साह को उस आनंद को पूरी भव्यता में पहुचाने में सक्षम हैं और उन्हें अपनी किस्सगोई में बतौर राज़दार शामिल कर लेते हैं । 


17 नवम्बर 1942 को जन्मे स्कौरसीसी का बचपन दमे की गिरफ़्त में बीता जिसकी वजह से वो खके मैदानों वाले खेल कूद से वंचित रहे और सिनमा का एक एकाकी सा शौक़ पाल बैठे। घर के धार्मिक माहौल के चलते उन्होंने पादरी बन ने के लिए पढ़ना शुरू कर दिया था पर सिनमा का खिंचाव ज़्यादा ताकतवर साबित हुआ और वो न्यू यॉर्क यूनिवर्सिटी के फ़िल्म स्कूल में भर्ती हो गए।  1969 में उन्होंने अपना पहली फ़ीचर लेंग्थ फ़िल्म Who's That Knocking at My Door? पूरी की । इस फ़िल्म में उनके सिनमा जीवन की दो बड़ी हस्तियों से उनकी मुलाक़ात हुई अभिनेता हार्वी कीटल और सम्पादक थेल्मा स्कून्मेकर। थेल्मा ने स्कॉरसीसी के विज़ूअल स्टाइल के प्रकटन और निखार में बेहद केंद्रीय भूमिका निभाई है। अगले तीन वर्षों में उन्होंने न्यू यॉर्क यूनिवर्सिटी में फ़िल्म का शिक्षण किया, डॉक्युमेंटरीज़ पर काम किया, हॉलीवुड जा कर बॉक्स कार बार्था निर्देशित की फिर 1973 में न्यू यॉर्क लौट कर अपनी पहली महान फ़िल्म मीन स्ट्रीट बनायी। न्यू यॉर्क टाइम्ज़ का कहना है की मीन स्ट्रीट में स्कौरसीसी के कई स्टाइल और थीम्ज़ की नींव पड़ी जैसे बाहरी antiheroes, असाधारण केमरा और एडिटिंग टेक्नीक्स, धर्म और गैंगस्टर संस्कृति से जनूनी लगाव, और लोकप्रिय संगीत का विचारोत्तेजक उपयोग । इस फ़िल्म ने उनको अमरीका की सिनमा प्रतिभाओं की अग्रिम पंक्ति में ला खड़ा किया साथ ही उनके रिश्ते अभिनेता रॉबर्ट डी नीरो के साथ बने । इस जोड़ी ने विश्व सिनमा को अनेक यादगार सौग़ातें दीं।

 उनकी ऐलिस डोंट लिव हियर अनि मोर से  एलेन बर्स्टिन को 1974 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का ऑस्कर और सह-कलाकार डायने लैड को सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का नामांकन मिला। उनकी हुनर परवान चढ़ रहा था और सिनेमा इतिहास की सर्वकालिक महान फिल्मों में से एक 'टैक्सी ड्राइवर' में इस हुनर एक शानदार अभिव्यक्ति मिली।

 'टैक्सी ड्राइवर' में पॉल श्रेडर की पटकथा में सिनेमाई ऐल्कमी का वो दुर्लभ संयोग बना जब सारे सिनमा तत्वों का संतुलन जादू बनाता है। 'टैक्सी ड्राइवर' जैसी भव्य अराजकता के लिए ‘संतुलन’ थोड़ा अजीब पर पूरी तरह से वाजिब शब्द है।  ये फिल्म व्यक्तिगत और सामाजिक विकृति के बीच संबंधों का एक गहरा अध्ययन है। स्कॉरसीसी ने उस भाषा पर अपने लेंस की पहुँच बनाई जिसका उपयोग सेल्युलाइड पर मानसिक क्षय, अकेलेपन से ग्रसित बीमार व्यक्ति को लगातार हिंसा के बहाने देते समाज के प्रभाव  को चित्रित करने के लिए किया जा सकता था । अभिनेता रॉबर्ट डी नीरो ने एक सहज ज़िद के साथ इस चुनौती को पूरा लिया । संगीत,  अभिनय, सम्पादन, केमरा वर्क और निर्देशन ने मनोभावों और सिनमा क्षणों का एक शानदार ताना बाना बुना जिसमें हर रुग्णता, अवसाद  और अतिरेक स्वाभाविक और सिनमाई  आनंद के वाहक के रूप में उभरा। ट्रैविस बिकल (डी नीरो का कैबी ड्राइवर चरित्र) समाज में किसी भी तरह के सम्बंध बनाने में लगभग पूरी तरह से असक्षम है। मानवता के साथ पूर्ण अलगाव और साथी मनुष्यों के साथ सामान्य संपर्क साधने के उसके अजीब प्रयासों (उल्लेखनीय तौर पर जब वो अपनी पूरी मासूमियत से अपनी महिला मित्र को एक पोर्न थियेटर डेट पर ले गया था या राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के साथ टैक्सी में बातचीत में जो धीरे धीरे उसकी विकृति से एक अनजाने भय से स्क्रीन को भर देती है) ने कहानी को गहराई दी और दर्शकों ने एक जटिल कहानी के शानदार खुलासे में खुद की भागीदारी महसूस की। दर्शकों के लिए हर झकझोर देने वाली घटना कहानी की यात्रा को अपनी परिणति की ओर ले जाती है। अराजकता में निहित व्यवस्था और कसाव ने टैक्सी ड्राइवर को एक यादगार फिल्म बना दिया है।

                         

ब्लैक एंड व्हाइट में फिल्मायी गयी रेजिंग बुल उनकी सबसे महत्वाकांक्षी फिल्म मानी जाती है और इसे उनकी महानतम फिल्म में स्थान दिया गया है। डी नीरो ने सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का ऑस्कर जीता, जबकि नवागंतुक कैथी मोरियार्टी ने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का नामांकन जीता और थेल्मा शूनमेकर ने संपादन के लिए अकादमी पुरस्कार जीता। डी नीरो- स्कॉरसीसी टीम ने 1983 में द किंग ऑफ़ कॉमेडी में एक औसत दर्जे व्यंग्य दिया। जब स्टूडियो द्वारा हाथ खींचने के कारण द लास्ट टेम्पटेशन ऑफ क्राइस्ट को निर्देशित करने का उनका सपना टूट गया तो उन्होंने आफ्टर आवर्स का निर्देशन किया । आफ्टर आवर्स, हालांकि उनकी फिल्मों में बिसरी सी फ़िल्म मानी जाती है पर इस फ़िल्म को pure film making का लगभग निर्दोष उदाहरण कहा गया है।  द कलर ऑफ मनी ने उन्हें और अधिक व्यावसायिक सफलता दिलाई और उनके सितारों पॉल न्यूमैन और मैरी एलिजाबेथ मास्ट्रांटोनियो के लिए ऑस्कर ।

 

उन्होंने 1990 के दशक की शुरुआत एक उत्कृष्ट ‘गुडफेलाज’ के साथ की। फिल्म ने गैंगस्टर शैली पर उनकी पकड़ की धाक को और गहरा किया। Scorsese दबी हुई पर सुलगती हिंसा को प्रेषित करने में माहिर है जो कहानी के लिए ईंधन का काम करता है। Age of Innocence और कुंदन विभिन्न शैलियों में सम्माजनक उदाहरण थे। उन्होंने निकोलस केज के साथ ब्रिंग आउट डेड में शहरी जीवन के संघर्षो के यथार्थ पर वापसी के साथ मिलेनियम का अंत किया।

 

नई सदी मेंस्कॉरसीसी ने वह हासिल किया जो हर कलाकार का सपना होता है- एक महान लेट स्टाइल। वह अपनी मर्जी से एक आदतन प्रयास हीनता के साथ बेहतरीन फिल्में बना रहे हैं। भव्य हिंसक पीरियड ड्रामा गैंग्स ओफ़ न्यूयॉर्क से शुरू कर वह एविएटर जैसी बायोपिक, डायलन और स्टोन्स पर डॉक्युमेंटरीज़ में अपनी अप्रतिम प्रतिभा के झंडे गाढ़ चुके हैं।

               


2006, इनफर्नल अफेयर्स के रूपांतरण द डिपार्टेड के लिए उनके लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का ऑस्कर लेकर आया। एबर्ट को फिर से उद्धृत किया जाए तो " निर्देशक द्वारा अभिनेताओं, स्थानों और उनकी ऊर्जा का उपयोग, और फ़िल्म में दफन थीम का ट्रीटमेंट इसको (द डिपार्टेड को)  एक स्कौरसीसी फिल्म बनाता है, न कि केवल एक नक़ल। एक फिल्म उसके बारे में नहीं होती है जिसके  बारे में वो है बल्कि एक फ़िल्म उसके बारे में है की कैसे वो उसके बारे में है । एक स्कौरसीसी फिल्म के बारे में यह हमेशा सच है। उन्होंने गुणवत्तापूर्ण फिल्में बनाना जारी रखा है। अगर शटर आइलैंड बहुत अच्छे पर आ कर रुक गयी , तो ह्यूगो एक महान फ़िल्म बन कर निकली । हिंसक गैंगस्टर फिल्मों से बहुत दूर, ह्यूगो ने स्कॉरसीसी जो उस वक्त 70 वर्ष के थे को अपनी प्रतिभा के पूरे शबाब के साथ पेश किया। अपने सम्मोहक तकनीकी कौशल का लाभ उठाते हुए एक सेल्युलाइड कविता बुन ना और एक प्रवाहपूर्ण कहानी कहना निर्देशक के तौर पर स्कौरसीसी की एक बड़ी सफलता है। वुल्फ़ ओफ़ वॉल स्ट्रीट, एक मॉडर्न क्लासिक बन चुकी है। Irishman हाल की सबसे चर्चित फ़िल्मों में से है और आने वाली किलर्ज़ ओफ़ द फ़्लावर मून का पूरी दुनिया दिल थाम कर इंतेज़ार कर रही है  । फिल्मों की अद्भुत दुनिया का हर मुरीद एक ही उम्मीद करता है कि इस दिग्गज किस्सागो की कहानी का 'हेडलॉन्ग मोमेंटम' को ऐसे ही बना रहे।

 

 -धीरज सिंह  

No comments:

Post a Comment

ब्रेकिंग बैड की सहज श्रेष्ठता

      इतने सालों के बाद ब्रेकिंग बैड की तकनीकी श्रेष्ठता इतनी भी नहीं प्रतीत होती  कि उस पर पार न पाया जा सके।  गज़ब की फोटोग्राफी, इमोशंस के...