Tuesday, 29 November 2022

ब्रेकिंग बैड की सहज श्रेष्ठता

  

 

इतने सालों के बाद ब्रेकिंग बैड की तकनीकी श्रेष्ठता इतनी भी नहीं प्रतीत होती  कि उस पर पार न पाया जा सके।  गज़ब की फोटोग्राफी, इमोशंस के हिसाब की एडिटिंग, लोकेशंस का जीवंत उपयोग और दिनचर्या के मासूम मौकों का बड़े मुद्दों के लिए दिल पिघला देने वाला प्रयोग अब उतना दुर्लभ नहीं रह गया है. फार्गो, फौदा , द फॉल, लूथर, होमलैंड, गेम ऑफ़ थ्रोन्स, हाउस ऑफ़ कार्ड्स ऑरेंज इस न्यू ब्लैक और बाद के अनेकों सीरीज में इन सभी तत्वों का काफी परिष्कृत रूप देखने को मिला है। फिर ब्रेकिंग बैड में ऐसा क्या है तो वो अभी भी अकसर लोगों की सबसे पसंदीदा सीरीज बन कर निकलती रहती है और बाकि सभी सीरीज उसके मापदंड पर नापी जाती हैं. 

 

मेरे हिसाब से जीवंत किरदारों का इतना सशक्त जमावड़ा ही इस सीरीज की सबसे बड़ी ताकत है।  प्रत्येक चरित्र एक स्वतंत्र सीरीज का हक़दार है और उसका रोल पूरी बारीक़ी  से उकेरा गया है।  ‘बेटर कॉल सौल’ एक अच्छा उदाहरण है।  वैसे वाल्ट और जेस्सी के किरदारों को सबसे ज़्यादा स्क्रीन टाइम मिला है और उनकी बारीकियां सबसे ज़्यादा विस्तार से चित्रित हुई हैं पर कोई भी अहम् चरित्र दरकिनार किया हुआ नहीं महसूस होता है।  माइक, गुस्तावो फ्रिंग , हेंक , लीडिया , सौल गुडमैन , यहाँ तक कि बच्चे (शिशु हौली भी ) सभी को मजबूत व्यक्तित्व मिले हैं। छोटे चरित्र भी पूर्णतः स्थापित किये गए हैं।  टॉड के अंकल जैक, वैक्यूम वाले , बेजर,  स्किनी पीट , ट्विन्स सब में एक स्थायित्व है जो इन सबको इस पांच सीजन लम्बी सीरीज में बनाये रखता है।  अन्य सीरीज भी गहरे और प्रभावशाली व्यक्तित्वों से भरी होती हैं पर विन्स गिलिगन ने ब्रेकिंग बैड में थोड़ा अतरिक्त सफलता पायी है।  किरदारों के प्रोग्रेशन आर्च, जो की इतनी लम्बी सीरीज में थोड़ा मुश्किल होता है बिलकुल पिच परफेक्ट आया है और दर्शकों को चरित्रों में इनवेस्टेड रखता है और नैरेटिव टेंशन बनाये रखता है।  

 

 

 

 

टीवी या सिनेमा में चरित्र स्थापन एक जटिल प्रक्रिया है।  निर्देशक को दर्शकों को एक alchemy of paradox से गुजारना  होता है।  किरदार शुरुआत से ही स्पष्ट होना होता है पर उसको उतना परदे में भी रखना होता है की दर्शक उसकी परतें उतारने में सहभागिता महसूस करे और कथानक में खुद को जुड़ा हुआ महसूस करें।  चरित्र को निर्देशक के साथ साथ ही उधेड़ने का आनंद , ये दर्शकों को बाँधने की एक बड़ी सिनेमेटिक प्रथा रही है।  गुस्तावो फ्रिंग के चरित्र को ही लें।  उसमे हम तुरंत ही एक सधी हुई सफाई देखते हैं पर ये अहसास बना रहता है की ये बंदा कुछ अलग ही है और हम उसकी बैक स्टोरी , उसकी अंतर्निहित सहज शालीनता , हिंसा और बदले की असीमित क्षमता के अन्वेषण में पूरा मज़ा लेते हैं।  माइक की सुदृढ़ता भी शुरआत से स्पष्ट है और हम धीरे धीरे उसके व्यक्तित्व की मुलायम बारीकियों  से, उसकी कुशलता से और उसके चरित्र की ताकत से परिचित होते जाते हैं।  हेंक का खिलंदड़ा पन एकदम सामने आता पर उसकी ईमानदारी डिटेक्टिव के तौर पर उसकी महारत धीरे धीरे खुलती है और हम उसकी जिजीविषा, लगे रहने की क्षमता और उसकी कमजोरियों को बड़े आनंद के साथ समझते हैं।  महिला चरित्र भी पूर्णतः विकसित पात्र है।  स्काई लर, लीडिया मेरी के चरित्र का तानाबाना पूरी जटिलता और समय लिए हुए है।  उनकी शक्तियाँ और उनकी कमजोरियां स्पष्ट और वास्तविक प्रतीत होती हैं।  जैसे लीडिया का स्वार्थ , महत्वाकांक्षा और डर उसको मिले थोड़े से दृश्यों में अपनी पूरी चिंता के साथ उभर कर आता है।  टॉड का डरावना साइको पैथ बड़ी गहराई से चित्रित हुआ है।  शायद वो टीवी इतिहास के सबसे डिस्टर्बिंग विलेन्स में से एक है।  मजबूत चरित्र चित्रण इस बहुपुरुस्कृत शो की मुख्य ताकत है और एक ऐसा गुण है  जिसे बहुत आसानी से कॉपी नहीं किया जा सकता है।

 

तकनीकी मुद्दे जो इस आर्टिकल की शुरुआत में बताये गए थे वो चाहे आसानी से कॉपी किये जा सकते हों या कई सीरीज उन मामलों में ब्रेकिंग बैड से आगे निकल चुकी हों , ब्रेकिंग बैड भी उनमे श्रेष्ठ श्रेणी में ही आती है।  सीरीज की फोटोग्राफी आज भी कई फिल्म स्कूलों में पढ़ाई जाती है।  न्यू मैक्सिको का बंजर वीरान इलाका सीरीज़ के मूड को एक खुरदरापन प्रदान करता है और एक निओ वेस्टर्न आभा का निर्माण करता है। एडिटिंग जबरदस्त है और अपनी गहन जटिलता के बावज़ूद भी कहानी के आड़े नहीं आती है।  एंगल शॉट्स, वाइप , बैरल टेबल टॉप, क्लोज अप  जैसी तरकीबे  परदे पर एक तनाव  तो लाती हैं पर व्यवधान नहीं उत्पन्न करतीं हैं।  

 

एक और बात जो ब्रेकिंग बैड को अपने समकक्षों से ऊपर ले जाती है वो है - इस तकनीकी श्रेष्ठता  की ओपेरा जैसी भव्यता और अन्तर्निहित बड़े सन्देश जो प्रायः विराट परिणामों को छुपाये होते हैं - जीवन की रोजमर्रा गतिविधियों में ही पूरी तत्परता से स्थापित रहते हैं।  परिवार, ऑफिस, कार वाश, डाइनिंग टेबल , गैस स्टेशन और डिपार्टमेंट स्टोर जैसी साधारण स्थितियों में जीवन की दिशा बदल देने वाली घटनाएं बड़े सामान्य तरीके से हो जाती हैं।  सीरीज की भव्यता इसके कथानक,  की विराटता और तकनीकी आयामों की गहनता से आती है।  इस मामले में  ये सीरीज साहित्य के बहुत क़रीब है , लगभग शेक्सपीरयन। 

 

बिंज वाचिंग में भी शो की तारतम्यता और निरंतरता नहीं टूटती है।  कथानक के विकास और उतार चढ़ावों पर निर्देशक की पकड़ प्रशंसा की पात्र है।  ब्रेकिंग बैड एक सम्मोहक टीवी है अपने तरीके का श्रेष्ठतम।  इस की दीर्घ आयु और प्रभाव सुनिश्चित है।  

 


ब्रेकिंग बैड की सहज श्रेष्ठता

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